संत गाडगे बाबा -हिरेन बौद्ध (दियोली)*.... ✍🏻


🇪🇺 *जय भीम नमो बुद्धाय* 🇪🇺

मेरी जहा मुत्यु हो जाय वही पर मेरा अंतिम संस्कार कर देना ,मेरी मूर्ती, मेरी समाधी,मेरा स्मारक मंदिर नही बनाना।

मेने जो कार्य किया है , वही मेरा सच्चा स्मारक है ।

पैसे की तंगी होतो खाने के बर्तन बेच दो पर अपने बच्चों को शिक्षा के बिना मत रखो।

ये लाइने ये उन महान संत हैं जिन्होंने मूर्ति पूजा ओर अंधविश्वास को कड़ी मात दी है ओर शिक्षा को प्राथमिकता दी है मानवता के सच्चे हितेसी सामाजिक समरसता के द्योतक संत गाडगे बाबा का जन्म *23 फरवरी 1876 में* हुआ देश मे सामाजिक क्रांति के अग्रेदूत कहे जाने वाले संत गाडगे बाबा का जन्म महाराष्ट के अकोला जिल्ले के खासपुर गांव में धोबी परिवार में हुआ था उस गाँव का नाम बदल कर अब शेण गाँव हो गया है उनके बचपन का नाम देबुजी जुंगराजी जाणवोकर था 
पिता का नाम - जिंगराजी
माता का नाम - सखुबाई
कुल का नाम  - जाणवोकर था
गाडगे बाबाने शिक्षा की महेता पर बहोत जोर दिया अपने कीर्तन के माध्य्म से शिक्षा की महेता पर प्रकाश डालते हुए वह कहते थे शिक्षा बड़ी चीज है पैसो की तंगी हो तो खाने के बर्तन बेच दो औरत के लिए कम दाम के कपड़े खरीदो टूटे फूटे मकान में रहो पर बच्चो को शिक्षा दिए बिना मत रहो गाडगे बाबा ने अपने जीवन कालमे लगभग 60 संस्था ओ की स्थाप ना कि ओर उनके बाद उनके अनुयायी ओ ने लगभग 42 संस्थाओं का निर्माण कराया उन्होंने कभी कही मंदिर निर्माण नही कराया,स्कूल ,धर्मशाला, छात्रवास,अस्पताल का निर्माण किया उन्होंने कभी किसी से दान का पैसा नही लिया गौतम बुद्धकी भाती पीड़ित मानवता की सहायता एवं समाज सेवा के लिए उन्होंने सन 1905 को ग्रहत्याग करदिया था , एक लकड़ी ओर मिट्टी का बर्तन लेकर आधी रात को घरसे निकल गए थे,दया,करुणा, मानव कल्याण परोपकार आदि गुणो के भंडार संत गाडगे बाबा सन 1905 से सन 1917 तक साधक अवस्था मे रहे *20 दिसम्बर 1956* को रात्रि 12 बजके 20 मिनिट पर तबियत खराब होनेसे उनकी जीवन ज्योति समाप्त हो गई जहा बाबा का अंतिम संस्कार किया गया वह स्थान गाडगे नगर के नाम से जाना जाता है 

ऐसेही महान संत गाडगे बाबाको हिरेन बौद्ध की ओर से कोटि कोटि नमन

🇪🇺 *जय भीम नमो बुद्धाय* 🇪🇺

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*हिरेन बौद्ध (दियोली)*.... ✍🏻

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